
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को Air India Flight AI171 क्रैश (June 2025) से जुड़े Preliminary Inquiry Report के selective leak पर कड़ी नाराज़गी जताई। कोर्ट ने साफ कहा कि जब तक पूरी जांच पूरी न हो, तब तक किसी भी तरह की जानकारी को टुकड़ों में पब्लिश करना “unfortunate” है और इससे मीडिया में गलत नैरेटिव बनता है।
यह मामला 12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट से टेक-ऑफ के कुछ ही देर बाद हुए क्रैश से जुड़ा है, जिसमें 260 यात्रियों की मौत हुई थी। Safety Matters Foundation नामक NGO ने इस केस में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कोर्ट-मॉनिटर जांच की मांग की गई है।
Petitioners की दलील: DGCA की जांच पर उठे सवाल
एडवोकेट प्रशांत भूषण, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए, ने कहा कि दुर्घटना की जांच के लिए 5 सदस्यीय टीम बनाई गई है, जिसमें से 3 सदस्य DGCA (Directorate General of Civil Aviation) के अफसर हैं। उन्होंने तर्क दिया कि DGCA की भूमिका खुद जांच के घेरे में है, ऐसे में उसके अफसरों का टीम में होना साफ तौर पर “conflict of interest” है।
भूषण ने यह भी कहा कि Preliminary Report में सिर्फ एक लाइन – “किसी पायलट ने पूछा कि फ्यूल क्यों काटा गया?” – को इंटरनेशनल मीडिया ने उठा लिया और इसे pilot error का मामला बना दिया। इसके चलते, परिवारों और पायलट कम्युनिटी में गलतफहमियां पैदा हो गईं।
Supreme Court की Observations
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने कहा:
- “Selective leak से speculation और rumours फैलते हैं।”
- “Confidentiality इस तरह के मामलों में सबसे जरूरी है।”
- “जब भी कोई tragedy होती है तो airline को blame किया जाता है, Boeing और Airbus को नहीं।”
कोर्ट ने यह भी माना कि fair और impartial inquiry जरूरी है, लेकिन Flight Data Recorder (FDR) जैसे sensitive data को समय से पहले public करना advisable नहीं है।
Media पर नाराज़गी
कोर्ट ने कई मीडिया रिपोर्ट्स पर भी सख्त टिप्पणी की। खासकर The Wall Street Journal की उस स्टोरी पर, जिसमें क्रैश के तुरंत बाद senior pilot को दोषी बताया गया था।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा:
- “बहुत irresponsible reporting हो रही है।”
- “किसी भी तरह का speculative conclusion लोगों में panic और गलत नैरेटिव फैला सकता है।”
भूषण ने यह भी बताया कि कुछ इंटरनेशनल मीडिया ने तो यहां तक कहा कि pilot suicidal था, जिस पर कोर्ट ने इसे “ridiculous story” बताया।
Preliminary Report में क्या लिखा था?
Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) ने 12 जुलाई 2025 को Preliminary Report जारी की थी। उसमें कहा गया कि fuel cutoff switches को RUN से CUTOFF पर ले जाया गया था, जिससे इंजन बंद हो गए। यानी, रिपोर्ट ने पायलट error की ओर इशारा किया।
लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि:
- रिपोर्ट में Digital Flight Data Recorder (DFDR) का पूरा डेटा नहीं दिया गया।
- Cockpit Voice Recorder (CVR) का पूरा transcript नहीं जोड़ा गया।
- Electronic Aircraft Fault Recording (EAFR) का डेटा छुपाया गया।
याचिका में आरोप लगाया गया कि रिपोर्ट ने fuel switch defects, electrical faults और RAT deployment जैसे documented anomalies को downplay किया और बिना ठोस सबूत के पायलट error पर जोर दिया।
Chicago Convention का हवाला
Petitioners ने Annex 13 of Chicago Convention का हवाला देते हुए कहा कि जांच का मकसद prevention-focused और independent होना चाहिए, न कि दोषारोपण करना। DGCA के अफसरों का शामिल होना इस सिद्धांत का उल्लंघन है।
Court का Interim आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने hearing के बाद सरकार और अन्य respondents को नोटिस जारी किया है। फिलहाल, यह नोटिस सिर्फ इस prayer पर जारी हुआ है कि जांच “free, fair, impartial, expeditious और independent” तरीके से की जाए।
Impact और आगे का रास्ता
- Air India और aviation industry पर पहले से ही public trust का दबाव है।
- Families of victims transparency की मांग कर रहे हैं।
- Court के अगले आदेश तक Preliminary Report पर कोई आधिकारिक निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी।
Conclusion
Air India Flight AI171 क्रैश सिर्फ एक aviation accident नहीं है, बल्कि यह transparency, accountability और media responsibility की बड़ी परीक्षा भी बन गया है। Supreme Court का यह सख्त रुख संकेत देता है कि आने वाले समय में aviation safety investigations को लेकर नियम और कड़े हो सकते हैं।
Source livelaw