नेपाल एक बार फिर बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। 8 सितम्बर 2025 को हुई भारी हिंसा और लगातार बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को सत्ता से हटना पड़ा। उनकी जगह पूर्व मुख्य न्यायाधीश sushila karki को नेपाल का नया प्रधानमंत्री चुना गया है।
सत्ता परिवर्तन की पृष्ठभूमि
नेपाल में यह संकट तब शुरू हुआ जब संसद ने 4 सितम्बर को एक विवादित सोशल मीडिया बैन बिल पारित किया। इस बिल में कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को बंद करने का प्रावधान था। जैसे ही यह कानून आया, युवाओं और नागरिकों में गुस्सा फूट पड़ा।
विशेषकर Gen Z (युवा वर्ग) सड़कों पर उतर आया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगा। देखते ही देखते विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया।
विरोध प्रदर्शन के प्रभाव
- प्रदर्शनकारी सरकार के फैसले के खिलाफ जगह-जगह इकट्ठा हुए।
- कई शहरों में वाहनों में आग लगाई गई और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचा।
- इन प्रदर्शनों में जान-माल की भारी क्षति हुई।
- सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश इतना बढ़ गया कि हालात नियंत्रण से बाहर हो गए।

ओली सरकार पर आरोप
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल सोशल मीडिया बैन ही संकट का कारण नहीं था।
- जनता लंबे समय से ओली सरकार पर भ्रष्टाचार और गरीबी बढ़ाने के आरोप लगा रही थी।
- बेरोजगारी और आर्थिक संकट ने भी लोगों के गुस्से को और भड़काया।
- सोशल मीडिया युवाओं के लिए न सिर्फ मनोरंजन बल्कि आय का साधन भी था। इस पर रोक से उनकी नाराजगी और गहरी हो गई।
सुशीला कार्की कौन हैं?
- सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं।
- वे पेशेवर राजनेता नहीं हैं, लेकिन उनकी सख्त छवि और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के कारण वे हमेशा चर्चा में रही हैं।
- न्यायपालिका में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सख्त फैसले सुनाए, जिसके कारण वे जनता के बीच लोकप्रिय भी रहीं।
- अब प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे जनता को काफी उम्मीदें हैं।
नेपाल की राजनीति पर असर
नेपाल की राजनीति पहले से ही अस्थिरता से जूझ रही थी। सोशल मीडिया बैन और उसके बाद हुए विरोध प्रदर्शनों ने हालात को और बिगाड़ दिया।
- विपक्ष लगातार ओली सरकार को घेर रहा था।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी नेपाल की स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
- नई प्रधानमंत्री सुशीला कार्की के सामने सबसे बड़ी चुनौती शांति बहाल करना और जनता का विश्वास जीतना होगी।
निष्कर्ष
नेपाल का यह राजनीतिक संकट इस बात का संकेत है कि जनता अब असंवेदनशील फैसलों को स्वीकार नहीं करेगी। सोशल मीडिया पर बैन जैसे कदम ने युवाओं को नाराज कर दिया और सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
अब देखना यह होगा कि सुशीला कार्की अपनी छवि और ईमानदारी से नेपाल को इस संकट से बाहर निकालने में कितनी सफल होती हैं।