
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 सितंबर को पंजाब का दौरा करेंगे और राज्य में आई बाढ़ की स्थिति का हवाई सर्वे कर ज़मीनी हालात का जायज़ा लेंगे। इसके बाद वे पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश भी जाएंगे।
पंजाब सरकार ने बाढ़ से हुए कुल नुकसान का अनुमान 13,289 करोड़ रुपये लगाया है। इस विनाशकारी आपदा ने कृषि, ग्रामीण ढांचा और स्वास्थ्य समेत कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है।
पंजाब को 13,289 करोड़ रुपये का नुकसान
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी सीमा से लगे ज़िलों सहित कई बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वे करेंगे। उनका आधिकारिक कार्यक्रम तय कर राज्य सरकार के साथ साझा कर दिया गया है।
प्रधानमंत्री पठानकोट में उतरकर राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। इसके बाद वे कांगड़ा पहुंचेंगे और मौसम अनुकूल होने पर चंबा ज़िले के भरमौर तक हवाई मार्ग से जाएंगे। यदि मौसम अनुकूल न हुआ तो वे सड़क मार्ग से यात्रा करेंगे।

पंजाब भाजपा अध्यक्ष का बयान
पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा, “प्रधानमंत्री पंजाब की बाढ़ की स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं और लगातार हालात पर नज़र बनाए हुए हैं। वह 9 सितंबर को पंजाब आकर व्यक्तिगत रूप से स्थिति का आकलन करेंगे ताकि प्रभावित लोगों को अधिकतम मदद पहुंचाई जा सके।”
केंद्र सरकार की टीमें और रिपोर्ट
बाढ़ के नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्र सरकार की दो टीमें पंजाब का दौरा कर चुकी हैं।
- गृह मंत्रालय के राजेश गुप्ता
- ग्रामीण विकास मंत्रालय के संतोष कुमार तिवारी
दोनों टीमों ने मुख्य सचिव के. ए. पी. सिन्हा के नेतृत्व में राज्य प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और फिर फिरोज़पुर, फाज़िल्का, गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन और कपूरथला का दौरा किया।
टीमों को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक, बाढ़ से सबसे अधिक नुकसान ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग से जुड़े ढांचे को हुआ है, जिसकी कीमत 5,043 करोड़ रुपये आंकी गई है।

क्षेत्रवार अनुमानित नुकसान
- ग्रामीण ढांचा और पंचायत विभाग: ₹5,043 करोड़
- फसलों का नुकसान: ₹1,858 करोड़
- जल आपूर्ति: ₹1,520 करोड़
- मंडी बोर्ड: ₹1,022 करोड़
- स्वास्थ्य क्षेत्र: ₹780 करोड़
- शिक्षा विभाग: ₹542 करोड़
- कृषि: ₹317 करोड़
- बिजली: ₹103 करोड़
- उच्च शिक्षा: ₹8 करोड़
- पशुपालन (पशु हानि सहित): ₹7 करोड़
- खाद्य एवं आपूर्ति: ₹6 करोड़
विशेष राहत पैकेज की मांग
राज्य सरकार ने केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग की है ताकि प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा दिया जा सके और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे जैसे सड़कें, पुल, बिजली लाइनें, स्कूल, अस्पताल और बाढ़ सुरक्षा तंत्र को दुरुस्त किया जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी अपने दौरे के दौरान सतलुज, ब्यास, रावी और घग्गर नदियों के कमजोर तटबंधों को मज़बूत करने की आवश्यकता पर भी बल देंगे। इन नदियों के किनारे अवैध खनन और रखरखाव की कमी के कारण हालात बिगड़े हैं।
बाढ़ से जूझ रहे पंजाब और हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल से राहत कार्यों को गति मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय से नदियों के तटबंधों की अनदेखी और अवैध खनन ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। ऐसे में केंद्र की सीधी निगरानी से न सिर्फ त्वरित सहायता सुनिश्चित होगी, बल्कि भविष्य में आपदाओं से निपटने के लिए ठोस रणनीति भी बन सकेगी।
किसानों को सबसे बड़ा नुकसान फसल बर्बादी के रूप में हुआ है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। वहीं, ग्रामीण बुनियादी ढांचे की तबाही ने गाँवों में जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राहत पैकेज के माध्यम से प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहयोग मिलना जरूरी है। प्रधानमंत्री का दौरा राज्य की उम्मीदों को नया बल देगा और बाढ़ प्रभावितों को यह संदेश भी मिलेगा कि केंद्र सरकार उनके साथ खड़ी है।
Source Hindustan Times